मन है अर्जुन और आत्म ज्ञान है श्री कृष्ण - DO KADAM LIFE

DO KADAM LIFE

Khabar Sab ki

Breaking News


Thursday, September 7, 2023

मन है अर्जुन और आत्म ज्ञान है श्री कृष्ण

सच है कि हमारा मन जाकर बार-बार अटक जाता है, मन को कुछ खोने का डर और मिलने की आस लगी रहती है, जो हमें सुखी-दुखी, मान-अपमान, लाभ-हानि, जय-पराजय देती है, वही हमारी माया है। कहा गया है कि जब तक मन माया के जाल में फंसा रहता है, मुक्ति मुमकिन नहीं। माया से ऊपर उठना मुक्ति है। संसार जितना दिखाई देता है, वह और कुछ नहीं, बल्कि माया का जाल है। इसीलिए कहा गया है मन ही मनुष्य के बंधन और मुक्ति का कारण है। आप अगर चाहें तो मन को मना सकते हैं और नहीं तो आप मन की मनमानी को रोक नहीं पाएंगे। 
बात ऎसी है कि महाभारत का युद्ध कहीं बाहर नहीं, हमारे मन में ही चलता है। मन में अच्छे और बुरे विचारों की लड़ाई ही महाभारत है। यहां हमारा मन अर्जुन है और विवेक रूपी चेतना कृष्ण।

युद्ध के दौरान जब अर्जुन ने अपने सभी सगे-संबंधियों, गुरुओं आदि को सामने देखते हैं, तो उनके मन में मोह पैदा हो जाता है। उन्हें लगता है कि ये सब तो मेरे अपने है, मैं इनको कैसे मार सकता हूं! इससे तो अच्छा है कि मैं युद्ध ही न करूं। ऐसी बातें सोच कर दुखी अर्जुन भगवान कृष्ण की शरण में बैठ गए। तब भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। कहा – अर्जुन, जड़ मत बनो। यह तुम्हारे चरित्र के अनुरूप नहीं है। हृदय की तुच्छ दुर्बलता को त्यागकर युद्ध के लिए खड़े हो जाओ।
कई बार व्यक्ति को किसी काम को करने से उसका दुर्बल मन डराता है। इस वजह से वह आगे नहीं बढ़ पाता। लेकिन याद रखना चाहिए कि जीवन में तरक्की दुर्बलता से नहीं, बल्कि मजबूत इरादों से मिलती है। दिनचर्या के हर काम को युद्ध की तरह समझना चाहिए और उसको उत्साह के साथ पूरा करना चाहिए। मन को कभी कमजोर नहीं पड़ने देना चाहिए। मन डराएगा, लेकिन हमें डरना नहीं है। जीवन आगे बढ़ने के लिए है, डर कर या निराश होकर बैठ जाने के लिए नहीं। जीवन में हार के साथ जीत, नुकसान के साथ फायदा और सुख के साथ दुख ऐसे जुड़े हैं, जैसे सिक्के के दो पहलू।
इंसान होने का हक़ अदा करने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि हमें जो भी, जैसा भी मिला है उसे लेकर खुश रहें। लेकिन खुशी के लिए केवल सोचने भर से काम नहीं चलता। उसके लिए मन को समझने और उसको अपने काबू में करने की जरूरत है। कभी खुशी का माहौल भी होगा तो भी मन कुछ समय के लिए खुश करके, फिर से परेशान कर देगा। मन को खुश रखना हमारी कोशिश पर निर्भर है। खुशी की हर कोशिश को अंजाम देना ज़िंदगी की सबसे बड़ी कामयाबी है।
 याद रखिए –
सफर ही हद है वहां तक कि कुछ निशान रहे 
चले चलो कि जहाँ तक ये आसमान रहे। 


No comments:

Post a Comment