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Saturday, November 9, 2019

सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच आज 10:30 बजे फैसला सुनाएगी, रामलला के दर्शन पर पाबंदी नहीं


  • सुप्रीम कोर्ट में 40 दिन सुनवाई हुई, हिंदू-मुस्लिम पक्ष की 160 घंटे से ज्यादा समय की दलीलें सुनने के बाद 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रखा गया

  • प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- अयोध्या पर जो भी फैसला आएगा, वह किसी की हार या जीत नहीं होगा

  • देशभर में कड़ी सुरक्षा, उप्र, मप्र समेत कई राज्यों में आज स्कूल-कॉलेज बंद; अयोध्या में सुरक्षा बलों की 47 कंपनियां तैनात


  • अयोध्या/नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ शनिवार को अयोध्या विवाद पर अपना फैसला सुनाएगी। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ सुबह 10.30 पर फैसला सुनाएगी। 6 अगस्त से 16 अक्टूबर तक 40 दिन तक हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।


    फैसले के मद्देनजर अयोध्या में सुरक्षा बढ़ा दी गई और धारा 144 लागू कर दी गई है। राज्यों को भी अलर्ट भेजा गया है। उत्तर प्रदेश में 3 दिन तक स्कूल-कॉलेज बंद रहेंगे, लेकिन अयोध्या में रामलला के दर्शनों पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है। मध्य प्रदेश में भी फैसले के मद्देनजर शनिवार को स्कूल-कॉलेजबंद रहेंगे।


    ये फैसला भारत की शांति, एकता और सद्भावना को और बल दे: मोदी
    मोदी ने कहा- अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएगा, वो किसी की हार-जीत नहीं होगा। देशवासियों से मेरी अपील है कि हम सब की यह प्राथमिकता रहे कि ये फैसला भारत की शांति, एकता और सद्भावना की महान परंपरा को और बल दे।




इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांटने के लिए कहा था
2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या का 2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन हिस्सों में समान बांट दिया जाए। एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा रामलला विराजमान को मिले। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गई थीं।40 दिन तक सुनवाई के दौरान 6 प्रमुख बिंदुओं पर हिंदू-मुस्लिम पक्ष की दलीलें





  • अयोध्या केस / सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच आज 10:30 बजे फैसला सुनाएगी, रामलला के दर्शन पर पाबंदी नहीं




 





  • सुप्रीम कोर्ट में 40 दिन सुनवाई हुई, हिंदू-मुस्लिम पक्ष की 160 घंटे से ज्यादा समय की दलीलें सुनने के बाद 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रखा गया

  • प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- अयोध्या पर जो भी फैसला आएगा, वह किसी की हार या जीत नहीं होगा

  • देशभर में कड़ी सुरक्षा, उप्र, मप्र समेत कई राज्यों में आज स्कूल-कॉलेज बंद; अयोध्या में सुरक्षा बलों की 47 कंपनियां तैनात



Dainik Bhaskar


Nov 09, 2019, 07:04 AM IST

अयोध्या/नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ शनिवार को अयोध्या विवाद पर अपना फैसला सुनाएगी। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ सुबह 10.30 पर फैसला सुनाएगी। 6 अगस्त से 16 अक्टूबर तक 40 दिन तक हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।


फैसले के मद्देनजर अयोध्या में सुरक्षा बढ़ा दी गई और धारा 144 लागू कर दी गई है। राज्यों को भी अलर्ट भेजा गया है। उत्तर प्रदेश में 3 दिन तक स्कूल-कॉलेज बंद रहेंगे, लेकिन अयोध्या में रामलला के दर्शनों पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है। मध्य प्रदेश में भी फैसले के मद्देनजर शनिवार को स्कूल-कॉलेजबंद रहेंगे।


ये फैसला भारत की शांति, एकता और सद्भावना को और बल दे: मोदी
मोदी ने कहा- अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएगा, वो किसी की हार-जीत नहीं होगा। देशवासियों से मेरी अपील है कि हम सब की यह प्राथमिकता रहे कि ये फैसला भारत की शांति, एकता और सद्भावना की महान परंपरा को और बल दे।


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांटने के लिए कहा था
2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या का 2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन हिस्सों में समान बांट दिया जाए। एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा रामलला विराजमान को मिले। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गई थीं।


40 दिन तक सुनवाई के दौरान 6 प्रमुख बिंदुओं पर हिंदू-मुस्लिम पक्ष की दलीलें


संविधान पीठ के न्यायाधीश
अयोध्या मामले पर सुनवाई कर रही संविधान पीठ की अध्यक्षता चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे हैं। उनके अलावा इस बेंच में जस्टिस एसए बोबोडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।


अयोध्या विवाद : 1526 से अब तक


1526 : इतिहासकारों के मुताबिक, बाबर इब्राहिम लोदी से जंग लड़ने 1526 में भारत आया था। बाबर के सूबेदार मीरबाकी ने 1528 में अयोध्या में मस्जिद बनवाई। बाबर के सम्मान में इसे बाबरी मस्जिद नाम दिया गया।
1853 : अवध के नवाब वाजिद अली शाह के समय पहली बार अयोध्या में साम्प्रदायिक हिंसा भड़की। हिंदू समुदाय ने कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई।
1949 : विवादित स्थल पर सेंट्रल डोम के नीचे रामलला की मूर्ति स्थापित की गई।
1950 : हिंदू महासभा के वकील गोपाल विशारद ने फैजाबाद जिला अदालत में अर्जी दाखिल कर रामलला की मूर्ति की पूजा का अधिकार देने की मांग की।
1959 : निर्मोही अखाड़े ने विवादित स्थल पर मालिकाना हक जताया।
1961 : सुन्नी वक्फ बोर्ड (सेंट्रल) ने मूर्ति स्थापित किए जाने के खिलाफ कोर्ट में अर्जी लगाई और मस्जिद व आसपास की जमीन पर अपना हक जताया।
1981 : उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने जमीन के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर किया।
1885 : फैजाबाद की जिला अदालत ने राम चबूतरे पर छतरी लगाने की महंत रघुबीर दास की अर्जी ठुकराई।
1989 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित स्थल पर यथास्थिति बरकरार रखने को कहा।
1992 : अयोध्या में विवादित ढांचा ढहा दिया गया।
2002 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित ढांचे वाली जमीन के मालिकाना हक को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।
2010 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2:1 से फैसला दिया और विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन हिस्सों में बराबर बांट दिया।
2011 : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।
2016 : सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण की इजाजत मांगी।
2018 : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद को लेकर दाखिल विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।
6 अगस्त 2019 : सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर हिंदू और मुस्लिम पक्ष की अपीलों पर सुनवाई शुरू की।
16 अक्टूबर 2019 : सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई पूरी हुई।





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