. भोपाल | सरकार की सिफारिश पर विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत बैंकों से छोटे लोन लेने वाले हितग्राहियों को आगे ऐसे कर्ज लेने में मुश्किल आ सकती है। बैंकों ने ऐसे हितग्राहियों की सिफारिश करने वाले राज्य सरकार के टास्क फोर्स से कहा है कि वे योजनाओं का लाभ देने के लिए लाभार्थी का सिबिल स्कोर जांचकर ही उनके लोन की सिफारिश करे।
15 नवंबर को सरकार के साथ होने वाली बैंकों की बैठक के एजेंडे में यह प्रस्ताव शामिल है। अभी पैन कार्ड जैसे जरूरी दस्तावेज नहीं होने से ग्रामीण क्षेत्रों के ज्यादातर हितग्राहियों का सिबिल स्कोर दर्ज ही नहीं होता है।
यह होगा असर : सरकार हर साल सीएम युवा उद्यमी, पीएम रोजगार सृजन कार्यक्रम, सीएम ग्रामीण आवास, मुद्रा लोन जैसी योजनाओं के तहत करीब 5 लाख हितग्राहियों को 10 हजार से लेकर 2 लाख रु. तक के लोन के लिए बैंकों को सिफारिश करती है।
सरकारी अधिकारी लोन सेंक्शन कराने के बाद इनके जन धन खाते खुलवाते हैं। यह खाते आधार कार्ड से खाेले जाते हैं। इस लोन से ग्रामीण क्षेत्रों में लोग पक्के घर, स्व सहायता समूह के जरिए महिलाएं दूध डेयरी, आचार-पापड़, मसाले और रजाई गादी भरने आदि का काम करती हैं। मुद्रा लोन के जरिए में भी ऐसे ही लोन मिलता है। प्रदेश में ऐसे अभी करीब 10 लाख हितग्राही हैं, जबकि हर साल करीब 5 लाख लोग इस तरह के कर्ज लेते हैं।
पैन कार्ड से ही सिबिल स्कोर जांचेंगे
प्रस्ताव के मुताबिक सिबिल स्कोर जांचने के लिए पैन कार्ड जरूरी होगा।आमतौर पर बैंक 700 से ज्यादा क्रेडिट स्कोर वालों को ही कर्ज देते हैं। जानकार कहते हैं कि जो बैंकों से पहले कर्ज नहीं लेते या फिर बैंक खातों में न्यूनतम बैलेंस नहीं रखते, वे भी डिफॉल्टर की श्रेणी में आते हैं। नतीजतन कोई भी जरूरतमंद इन योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाएगा।
इसलिए बैंकों ने दी सरकार को सलाह
बैंकिंग सूत्रों का कहना है कि इन योजनाओं में बढ़ते एनपीए और सरकार की ओर से रिकवरी में सहयोग न मिलने से वे परेशान हैं।
सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं में सिबिल का प्रस्ताव हमारी बैठक के एजेंडे में शामिल है। इस बारे में हम सरकार के साथ चर्चा करेंगे। इन योजनाओं में बड़े पैमाने पर कर्ज फसा है।
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