एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने टेलीकॉम विभाग के पक्ष में फैसला दिया था
भारती एयरटेल पर 42000 करोड़, वोडाफोन-आइडिया पर 40000 करोड़ की देनदारी होने का अनुमान
दोनों कंपनियों ने सरकार से ब्याज-पेनल्टी में छूट मांगी, जियो ने कहा- इनके पास पर्याप्त संसाधन उपलब्ध
मुंबई. रिलायंस जियो ने दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद को पत्र लिखकर कहा है कि एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) मामले में बकाया भुगतान को लेकर भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया को छूट दी गई तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा। यह गड़बड़ी करने वाली कंपनियों के मामले में एक खराब उदाहरण होगा। जियो ने एक नवंबर के इस पत्र की जानकारी रविवार को दी। सुप्रीम कोर्ट ने नॉन-टेलीकॉम रेवेन्यू को भी एजीआर का हिस्सा मानने के दूरसंचार विभाग के दावे को बरकरार रखते हुए टेलीकॉम कंपनियों को बकाया भुगतान करने का आदेश 24 अक्टूबर को दिया था। एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ने टेलीकॉम सेक्टर के संघ सीओएआई के जरिए भुगतान में कुछ राहत देने की अपील की है।
एयरटेल एसेट्स बेचकर 40 हजार करोड़ जुटा सकती है: जियो
टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर का 3% स्पेक्ट्रम फीस और 8% लाइसेंस फीस के तौर पर सरकार को देना होता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले कंपनियां एजीआर की गणना में नॉन टेलीकॉम रेवेन्यू को शामिल नहीं करती थीं। इस तरह पिछले 14 साल से शुल्क कम दे रही थीं। टेलीकॉम कंपनियों पर 1.4 लाख करोड़ रुपए की देनदारी हो रही है। भारती एयरटेल पर सबसे ज्यादा 42 हजार करोड़ और वोडाफोन-आइडिया पर 40 हजार करोड़ रुपए बकाया होने का अनुमान है। इन दोनों कंपनियों ने सरकार से अपील की है कि पिछली देनदारियों में पूरी छूट नहीं मिले तो कम से कम पेनल्टी और ब्याज में राहत मिल जाए।
जियो ने दोहराया कि टेलीकॉम कंपनियों के पास देनदारियां पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं। भारती एयरटेल अपनी कुछ संपत्तियां और शेयर बेचकर आसानी से 40 हजार करोड़ रुपए जुटा सकती है। वोडाफोन-आइडिया के पास भी संसाधनों की कमी नहीं है।
जियो ने सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के रवैए पर भी अफसोस जताया। जियो का कहना है कि सीओएआई हमारे बयान को रिकॉर्ड में नहीं ले रहा, वह सिर्फ भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया के एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है।
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