हॉस्टल फीस व अन्य शुल्क में बढ़ोतरी पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों के आंदोलन और दिल्ली पुलिस से टकराव पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नाराजगी जताई है। शाह ने मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से मुलाकात कर पूरी स्थिति पर जवाब मांगा है। शाह ने निशंक से कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर दखल देकर हालात को जल्द से जल्द सामान्य करें। शाह की शिकायत है कि मानव संसाधन मंत्रालय ने जेएनयू के हालात से निपटने में चूक की है। वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक शाह ने दो टूक कहा कि विश्वविद्यालयों में छात्रों के इस तरह के आंदोलन ठीक नहीं है। इससे पहले भी कई मसलों पर जेएनयू समेत कई विश्वविद्यालयों में छात्र आंदोलन पर उतर आए थे। शाह और निशंक की यह मुलाकात अहम माना जा रहा है क्योंकि जेएनयू छात्रों ने दिल्ली पुलिस पर निरंकुश होने का आरोप लगाया है। दिल्ली पुलिस सीधे तौर पर गृहमंत्रालय के तहत काम करती है।
सूत्रों के मुताबिक शाह ने यह भी कहा कि बढ़ी हॉस्टल फीस और अन्य शुल्क का फैसला वापस लिया जा सकता है। निशंक ने शाह को बताया फीस बढ़ोतरी आंशिक रूप से वापस करने का फैसला पहले ही लिया जा चुका है। छात्र नेताओं और संगठनों से बातचीत के लिए तीन सदस्यों की कमेटी भी गठित की गई है। निशंक ने भरोसा दिलाया कि स्थिति सामान्य कर ली जाएगी।
JNU मामला: कितना सही है छात्रों का विरोध प्रदर्शन, कैसे कम हो सकती है फीस
पिछले कई दिनों से दिल्ली स्थित जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (JNU) के छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। विरोध है हॉस्टल की बढ़ी फीस का।जेएनयू ने फीस को लेकर नए नियम जारी किए हैं, जिसके बाद एक सीटर कमरे का मासिक किराया 20 रुपये से बढ़कर 600 रुपये हुआ और दो लोगों के लिए कमरे का किराया 10 रुपये से बढ़कर 300 रुपए। साथ ही हर महीने 1700 रुपये का सर्विस चार्ज भी लिए जाने का ऐलान हुआ। ये तो उन छात्रों के लिए जो आर्थिक कमजोर वर्ग (EWS) से आते हैं। सामान्य वर्ग के लिए यह और ज्यादा है।
इसे लेकर विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है। आगे की स्लाइड्स से आप खुद समझ सकते हैं कि छात्रों विरोध प्रदर्शन कितना सही है और कितना नहीं?
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